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गुरु ( ब्रहस्पति ) सुख, वैभव, धन की हानि, ज्ञान का काम ना आना , वैवाहिक जीवन, संतान, मानसिक चिंता, आर्थिक हानि, विवाह में अड़चन, स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना, काम में आपने भाग्य का साथ नहीं मिलना, कार्य सफल न होना, ना की गई गलतिओं का दोष लगना, पढ़ाई में एक ब्रेक , पैसा या सोना खो देना , धर्म में विश्वास कम होना , लीवर की खराबी, मधुमेह और मोटापा, त्वचा में रूखापन, निराशाबादी मन, अगर इनमे से कोई भी सकेंत आपको मिलता है तो खराब गुरु (ब्रहस्पति) की निशानियां है | अंक ज्योतिष में गुरु ( ब्रहस्पति ) का अंक 3 है , जिसको ज्ञान का अंक माना जाता है | गुरु के बिना जीवन में ज्ञान नहीं हो सकता चाहे वह किसी भी प्रकार का क्यों ना हो |
ऐसी स्थितियों को सुधारने के लिए गुरु इत्र का प्रयोग जीवन में सुधार लाता है | गुरु के शुभ प्रभावों में वृद्धि कर जीवन को सुखमय बनाता है। ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति को देवगुरू, ज्ञान का कारक कहकर परिभाषित किया गया है।
बृहस्पति – इसे अक्सर भाग्य का ग्रह माना जाता है, बृहस्पति ज्ञान, विस्तार और आध्यात्मिकता का प्रतिनिधित्व करता है।वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह को देवगुरु माना जाता है और इसे सभी ग्रहों में सबसे शुभ ग्रह माना गया है. |
गुरु मंत्र- ‘ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः’।
गुरु का एकाक्षरी मंत्र- ‘ॐ बृं बृहस्पतये नमः’।
