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सूर्य इत्र :- वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूर्य को तारों का जनक माना जाता है

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सूर्य इत्र :- वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूर्य को तारों का जनक माना जाता है |सूर्य व्यक्ति के पद तथा समाज में मान-सम्मान को दर्शाता है। सूर्य ग्रह आपकी कुंडली में जैसा भी स्थान रखता हो, लेकिन इसके बिना जिंदगी में आगे बढ़ना संभब नहीं हो सकता। सूर्य का सहयोग मिलने से व्यक्ति का व्यक्तित्व राजाओं की तरह हो जाता है, सूर्य आत्मा का कारक है तो व्यक्ति के अन्दर के डर समाप्त हो जाते है , उसकी बात सुनी जाती है , राजदरबार से यानि सरकार से सहयोग प्राप्त होता है यानि आपके सभी काम जो सरकार या लोगों से जुड़े होते है होने शुरू हो जाते है , अंक विज्ञानं में सूर्य को 1 अंक से जाना जाता है | इस लिए इस इत्र के इस्तेमाल से व्यक्ति को एक नंबर होने के यानि अपने व्यक्तित्व को निखारने का मौका मिलता है | सूर्य पिता भी है और पुत्र भी तो इसके इस्तेमाल से पिता और पुत्र दोनों का सहयोग मिलता है |
सूर्य तांत्रिक मंत्र – ॐ ह्रां ह्रीं हौं सः सूर्याय नमः।
एकाक्षरी बीज मंत्र – ॐ घृणिः सूर्याय नमः
कोई भी देवता या ग्रह आपके लिए शुभ हो, अशुभ हो यानि मारकेश या बाधकेश हो तो उसके उपाए के रूप में उस ग्रह या देवता को नमन किया जाता है , उसके मंत्रो का उच्चारण किया जाता है , उसकी शांति या शुभ फल के लिए पूजन किया जाता है। पूजा की विधि कैसी भी हो उसमे फूलों और सुगंधिओं का ख़ास महत्व होता है। इस कारण से ही हमारे द्वारा सभी ग्रहो के इत्र विधि से बनाये गए है। जिसमे उस ग्रह या देवता के प्रिय फूलों की सुगंध एवं उसके मित्र ग्रहों या देवताओं के प्रिय सुगंधों का मिश्रण बनाया गया है। इसको इस्तेमाल करने से उस देवता या ग्रह का सन्मान होता है और उसके शुभ फल प्रपात होते है।

  • आज के समय में बहुत से लोग इन बातों को केवल बहम मात्र बताते है लेकिन यह उनका निजी चुनाब है और हम उनका सन्मान करते है | जहाँ बताई विधिया और कहानियाँ पुरातन ग्रंथो और साधू संतो अदि से ही हम तक पहुचती है और इनमे विशवास करना मेरा निजी मत है | इस विधिओ के प्रयोग से पहले आप अपने गुरु से आज्ञा लेकर शुरू करे | *

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