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अगर बुध ग्रह शुभ फल नहीं दे रहे हो तो समझे कि इससे व्यापार, नौकरी, तरक्की, सफलता आदि में रुकावटें उत्पन्न होने लगती हैं. मानसिक और निर्णय लेने की क्षमता भी कमजोर हो जाती है, या किसी के आगे बात रखने में दिक्कत, नसों में पीड़ा, बहरापन, जीव, मुख, गले तथा नाक से संबंधित रोग, चर्म रोग, अत्यधिक पसीना आना, तंत्रिका तंत्र में परेशानी, गुप्त रोग के कारण यौन शक्ति कम हो जाती है. पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है. पेट में दर्द रहने लगता है. नाखून, दांत और बाल भी कमजोर होकर टूटने लग जाते हैं. सूंघने की शक्ति कमजोर हो जाती है, इनमे से कोई भी लक्ष्ण होना भी बुध का ही खराब होना माना जाता है |
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, बुध ग्रह को बुद्धि का दाता कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि जिनकी कुंडली में बुध ग्रह मजबूत स्थिति में होता है, वह व्यक्ति बहुत ही समझदार, तर्क करने में कुशल, अच्छा विश्लेषक होता है. सूर्य के सबसे नजदीक बुध ग्रह ही है. इस ग्रह का सीधा संबंध इंसान की तर्क शक्ति से होता है.
अंक ज्योतिष में बुध को 5 नंबर माना जाता है | इसके शुभ होने से जीवन में संतुलन बनता है क्योकि यह सभी अंको के मध्य का अंक है | संतुलन के बिना जीवन को सफल नहीं बनाया जा सकता है |
बुध व्यापार के देवता है, बुध कार्यक्षेत्र में साहित्य, लेखन कार्य, सलाहकार, पत्रकारिता, अकाउंटेंट और वकील का प्रतिनिधितत्व करते हैं |
उपाए के रूप में बुध ग्रह का इत्र लगाये और बुध के मंत्रो का जाप कर लाभ प्राप्त करे |
बुध मंत्र- ‘ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः’।
बुध का एकाक्षरी मंत्र- ‘ॐ बुं बुधाय नमः’।
कोई भी देवता या ग्रह आपके लिए शुभ हो, अशुभ हो यानि मारकेश या बाधकेश हो तो उसके उपाए के रूप में उस ग्रह या देवता को नमन किया जाता है , उसके मंत्रो का उच्चारण किया जाता है , उसकी शांति या शुभ फल के लिए पूजन किया जाता है। पूजा की विधि कैसी भी हो उसमे फूलों और सुगंधिओं का ख़ास महत्व होता है। इस कारण से ही हमारे द्वारा सभी ग्रहो के इत्र विधि से बनाये गए है। जिसमे उस ग्रह या देवता के प्रिय फूलों की सुगंध एवं उसके मित्र ग्रहों या देवताओं के प्रिय सुगंधों का मिश्रण बनाया गया है। इसको इस्तेमाल करने से उस देवता या ग्रह का सन्मान होता है और उसके शुभ फल प्रपात होते है।
- आज के समय में बहुत से लोग इन बातों को केवल बहम मात्र बताते है लेकिन यह उनका निजी चुनाब है और हम उनका सन्मान करते है | जहाँ बताई विधिया और कहानियाँ पुरातन ग्रंथो और साधू संतो अदि से ही हम तक पहुचती है और इनमे विशवास करना मेरा निजी मत है | इस विधिओ के प्रयोग से पहले आप अपने गुरु से आज्ञा लेकर शुरू करे | *
