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Unisex Mohini Itra/ Attar Is made by powerful ingridients of Tantra. Which are useful for enhance attraction in aura, increase positivities, after using your confidence will be enhance. Highly Energized By Mohini Mantras and ritual aroma oils
मोहिनी एक परिचय :- तन्त्र की सबसे बड़ी शक्ति मोहिनी है | इसके माध्यम से वशीकरण बड़ी तीव्रता से होता है और इसको काटा भी नहीं जा सकता है |
मोहिनी हिन्दू भगवान विष्णु का एकमात्र स्त्री अवतार है। इसमें उन्हें ऐसे स्त्री रूप में दिखाया गया है जो सभी को मोहित कर ले। उसके मोह में वशीभूत होकर कोई भी सब भूल जाता है | इसको समझने के लिए मोहन के बारे में जानना होगा :-
अभिचार जिसका का सामान्य अर्थ है – ‘हनन’। तंत्रों में प्राय: छह प्रकार के अभिचारों का वर्णन मिलता है –
- मारण, 2.मोहन, 3. स्तंभन, 4. विद्वेषण, 5. उच्चाट्टन और 6. वशीकरण।
मारण से प्राणनाश करने, मोहन से किसी के मन को मुग्ध करने, स्तंभन से मन्त्रों द्वारा विभिन्न घातक वस्तुओं या व्यक्तियों की रोकथाम या नाश , विद्वेषण से दो नजदीकी व्यक्तियों में भेद या द्वेष उत्पन्न करने, उच्चाटन से किसी के मन को चंचल, उन्मत्त या अस्थिर करने तथा वशीकरण से राजा या किसी स्त्री अथवा अन्य व्यक्ति अथवा पशु के मन को अपने वश में करने की क्रिया की जाती की जाती है।
इन विभिन्न प्रकार की क्रियाओं को करने के लिए अनेक प्रकार के तांत्रिक कर्मो की विधियाँ हैं । इन क्रियाओं में मंत्र, यंत्र, बलि, प्राणप्रतिष्ठा, हवन, औषधिप्रयोग आदि के कई रूप मिलते हैं। इन | मोहन के लिए माता श्याम कौर मोहिनी की बहुत महत्ता है | इसके बारे में थोडा विस्तार से जानने के लिए आगे पढ़े |
माता श्याम कौर मोहिनी – तंत्र की सबसे बड़ी मोहिनी शक्ति हैं। मोहन और वशीकरण में फर्क होता है मोहित जब तक वो वियक्ति आप के पास हो तब तक किया जाता है। और वशीकरण तुम ना भी रहो तब भी वह तुम्हारे प्रभाव में हो उसे वशीकरण कहा जाता है।
माता श्याम कौर मोहिनी आठवें नंबर की मोहिनी है। पहली मोहिनी परम शक्ति आदिशक्ति की मानी जाती है | दूसरी मोहनी कामकला काली की है । तीसरी मोहनी भगवान विष्णु की शक्ति है। चौथी मोहनी कामाख्या मोहिनी है क्योंकि कामाख्या ने भी मोहित किया था। पांचवी मोहनी श्री कृष्ण की शक्ति है। छठी मोहनी गणेश जी की शक्ति है | इंद्र की पत्नी इंद्राणी जिसे तंत्र जगत में महेंद्र मोहिनी के नाम से जाना जाता है वह भी मोहनी शक्ति है । नाथों की मोहिनी चाहे गुरु गोरक्षनाथ की मोहिनी कह लो चाहे दादा मछिद्रा नाथ की आठवीं शक्ति है जिसे श्याम कौर मोहिनी खा जाता है | श्याम कौर मोहिनी से ऊपर सात और मोहिनी शक्ति है लेकिन शाम कौर मोहनी पूर्णता इंसानी मोहिनी है |
माता श्याम कौर मोहिनी के जो वैदिक मंत्र हैं वह भगवान वेदव्यास जी ने लिखे हैऔर जो तांत्रिक मंत्र हैं उसे दुर्वासा ऋषि जी ने लिखे है ,और जो मोहनी शाबर मंत्र हैं इसे कनीफनाथ जी ने लिखा है। क्योंकि कनीफनाथ जी जानते थे कलयुग में किस श्याम कौर मोहिनी को आसानी से सिद्ध किया जा सकता है और मनुष्य के अंदर दुर्गुण होते हैं और श्याम कौर मोहिनी को उन्हीं दुर्गुणों के मद्देनजर रखते हुए इन्हें कापालिक संप्रदाय में स्थान दिया गया। इनके मंत्र कपाली के मंत्र हैं और कपाली के जितने भी मंत्र बने हैं। सब कनीफनाथ जी ने बनाया है और श्याम कौर मोहिनी की साधना अधिकतर कपाली करते हैं। इनके शाबर मंत्र कापालिक मार्ग से सिद्ध होते हैं। श्याम कौर मोहिनी का साधना विधान घर में नहीं किया जा सकता है। लेकिन यह साधना नदी के तट पर की जा सकती है, इनकी साधना आपको एकांत जंगल में ही करनी पड़ती है। श्याम कौर मोहिनी के अंदर दो गुण हैं। एक रजोगुण है दूसरा तमोगुण है, इनकी साधना एकांत में होती है। परंतु देवी शाम कौर और मोहिनी की साधना करने से पूर्व तुम्हें भगवान विष्णु की साधना करना अनिवार्य है।
माता श्याम कौर मोहिनी साधना के लाभ – मोहिनी मंत्र जाप करने से इतना आकर्षण हो जाता है कि सामने वाला व्यक्ति पूर्ण रूप से अधीन हो जाता है या कहें कि पूर्ण रुप से आपके प्रेम जाल में फंस जाता है। मोहिनी तंत्र साधना तभी काम करेगी जब आप इसका प्रयोग अच्छे कार्यों में करोगे अगर मोहिनी तंत्र का प्रयोग आप बुरे कार्य में प्रयोग करोगे तो इसकी जो शक्ति है नष्ट हो जाएगी। अगर किसी के घर में कला क्लेश रहता है तो आप मोहनी मंत्र का उच्चारण कर सकते हैं इसका प्रयोग कर सकते हैं। इसके अलावा शादी में रुकावट होना प्रेम प्रसंग में दरार अपने मित्र का रूठ जाना कोर्ट कचहरी के केस में सफल होना इन कारण हेतु भी आप मोहिनी मंत्र का प्रयोग कर सकते हैं।
माता श्याम कौर मोहिनी साधना विधि –अगर कोई साधारण व्यक्ति श्याम कौर मोहिनी की साधना करना चाहता है तो उसको नियमो का पालन करना होता है | यह साधना 21 से 41 दिन तक होती है | व्यक्ति को किसी गुरु से दिक्षत होकर उसकी देख-रेख में ही करनी चाहिए | साधना के दोरान सात्विक व ब्रहमचर्य का पालन करना होता है | इस साधना को घर में नहीं किया जाना चाहिए | मंत्र का जाप करने से पहले स्नान करें उसके बाद शुद्ध वस्त्र पहने और अपने मन को शुद्ध करें सही ध्यान करें और अपने माता-पिता का नाम ले अपने गुरुदेव का नाम ले धरती माता का नाम ले गणेश जी का नाम ले ,यह मंत्र एक तरह का नशा है जो अपने तंत्र विद्या से दूसरों के मस्तक में गुप्त रूप से प्रवेश कर जाता है ,और वह व्यक्ति पूर्ण रूप से हमारे वश में हो जाता है। जिनको भी यह साधना करनी है शनिवार से आरंभ करें। माता मोहिनी जी की साधना करते समय आपके पास जो सामान होना चाहिए उसके बारे में आगे लिख दिया गया है |रोजाना इसमें से कुछ भोग विष्णु जी को भी चढ़ाना होता है |
कृपया आप यह भी नोट कर लें एक तिलों के तेल का दिया, दो लड्डू, 7 पतासे, 7 इलाइची, सात प्रकार की मिठाई, दो मीठे पान, माता रानी का 16 हार सिंगार जिसमे हरी चुनरी, हरी चूडिया, मेहँदी जरूर होती है (सिर्फ दिखावे बाला नहीं असली काम आने बाली वस्तुए ), एक नारियल पानी वाला , इत्र की शीशी दो , दो अगरबत्तियां | यह सभी वस्तुए माता रानी का जाप करते समय आपके पास होनी चाहिए आसन पर बैठने के बाद तिलो के तेल का दिया जलाएं अगरबत्ती धूप जलाएं जो |एक साफ कपडे पर जो की लाल रंग का हो उस पर सभी सामान को रखे | एक-एक करके सारा सिंगार माँ को अर्पण करें | एक शीशी इत्र की खोल कर माता रानी को लगाये और दूसरी शीशी को खोल कर सामने ही रखे क्योकि जहाँ की गई साधना को इसमें ही समा के इकठा किया जयेगा | विधि से मंत्रो का उचारण करते हुए तीन माला जाप करें ऐसा 21 से 41 दिन तक करें 1 जो इत्र की शीशी रखी हुई है उसको हर रोज मन्त्रो से चार्ज करते जाये | साधना पूर्ण होने पर इस इत्र को इस्तेमाल करने से आपके सारे कार्य सफल हो जाएंगे और जो भी आपके कार्य में विघ्न पड़ रही है वह दूर हो जाएंगे और आपको सफलता की प्राप्ति होगी आपने इत्र के प्रयोग से दूसरे लोगों को वश में करने की घटनाओं के बारे में सुना होगा वह ऐसे ही तयार होते है | न केवल तंत्र विज्ञान वल्कि वैज्ञानिकों के अनुसार हर सुगंध का एक अलग मिजाज होता है जो अलग-अलग मौकों पर अलग-अलग फायदा पहुंचाता है।
यह मोहनी इत्र भी कठिन साधना से तयार किया जाता है | इसके प्रयोग से आप जहा भी जाते है आपके काम पूर्ण होते है क्योकि सामने बाला आप से मोहित हो जाता है | जिसने भी इस इत्र का प्रयोग किया है उसने हमे सराहा है लेकिन यह केवल और केवल माता रानी की कृपा है |
- आज के समय में बहुत से लोग इन बातों को केवल बहम मात्र बताते है लेकिन यह उनका निजी चुनाब है और हम उनका सन्मान करते है | जहाँ बताई विधिया और कहानियाँ पुरातन ग्रंथो और साधू संतो अदि से ही हम तक पहुचती है और इनमे विशवास करना मेरा निजी मत है | इस विधिओ के प्रयोग से पहले आप अपने गुरु से आज्ञा लेकर शुरू करे | *
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